ज्योतिष विद्या, वेदों जितनी ही प्राचीन और पूजनीय है। प्राचीन काल में ग्रह और नक्षत्रों के अध्ययन के द्वारा जीवन में आई बाधाओं को सुलझाने के लिए उपचार बताए व समझाए जाते थे। इन ग्रहों की मदद से पहले भी कई लोगों को लाभ प्राप्त हुआ है और यह विद्या आज भी अपने लाभों के लिए उतनी ही जानी और मानी जाती है। पर कुछ लोगों का यह तर्क भी रहता है कि ग्रह तो आसमान में विद्यमान हैं तो वह कैसे किसी के जीवन पर प्रभाव डाल सकते हैं या उन्हें बदल सकते हैं?

अनेक ग्रह हमारे जीवन पर कैसे प्रभाव डालते हैं?
आसमान में विद्यमान अनेक ग्रह निर्जीव वस्तुएं हैं, जो नाही अच्छे कहलऐ जा सकते हैं नाही बुरे। इन सभी का प्रभाव हर प्राणी पर एक जैसा पड़ता हैं परन्तु कुछ लोग इसे सहन कर पातें हैं और कुछ नहीं । इस प्रक्रिया को हम ऐसे भी समझ सकते हैं कि जिस प्रकार मौसम बदलने पर कुछ लोगों पर इसका प्रभाव नहीं होता और कुछ कि तबियत ख़राब हो जाती है उसी प्रकार कुछ लोगों पर ग्रहों का असर नकारात्मक हो जाता है।
सूर्य की किरणों का प्रभाव प्रत्येक मौसम में अलग-अलग होता है। इसी तरह चंद्रमाँ का अमावस्या पर अलग और पूर्णिमा के दिन अलग प्रभाव होता है। जो व्यक्ति जिस दिन जन्मा है उस दौरान ग्रहों की स्थिति क्या थी और उनका असर कैसा था यह कुंडली बताती है और उसके प्रभाव से ही व्यक्ति की प्रकृति तय होती है, जिसे इन्ही ग्रहों कि मदद से बदला भी जा सकता है।
ऐसा माना गया है कि चंद्रमा के कारण धरती का जल प्रभावित होता है और मंगल के कारण समुद्र के भीतर मूंगा उत्पन्न होता है। इसी तरह प्रत्येक ग्रह के कारण किसी न किसी पदार्थ की उत्पत्ति प्रभावित होती है। अगर इन ग्रहों को सही तरीके से समझा जाए तो अवश्य ही इनका उपचार संभव है।